हिंदी दिवस: एक पहल
आज 14 सितम्बर हिंदी दिवस है। इसे कैसे मनाएं? कोई काव्य सम्मेलन करें या संगोष्ठी; किसी विद्वान का सम्मान या हिंदी के उत्थान पतन पर कोई चर्चा? वैसे यह सब तो 1949 से होता आ रहा है जब संविधान सभा ने पहली बार हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इससे ज़्यादा कुछ होता दिखता तो नहीं। आमजन की हिंदी से बढ़ती दूरी, व्यवसायिक हिंदी का न्यूनतम प्रयोग, और, ख़ासकर, शिक्षण संस्थानों में अंग्रेज़ी का प्रभुत्व इसका साक्षी है। हिंदी दिवस मनाना वैसा ही है जैसा Mother's Day या Father's Day मनाना: एक दिन के लिए प्रेम उमड़ता है। इस हिंदी दिवस पर क्यों न हम एक छोटी सी पहल करें: अपनी रोज़मर्रा की भाषा में जहां तक हो सके हिंदी का प्रयोग करें? उदाहरण के लिए, "तुमने जो message send किया था वो मैंने till now read नहीं किया है। As soon as time मिलता है, मैं read करूंगी।" की जगह "तुमने जो संदेश भेजा था वो मैंने अभी तक पढ़ा नहीं है। समय मिलते ही पढूंगी।" बोल सकते हैं। (Message को संदेश बोलने में कई लोगों को बड़ी तकलीफ़ होती है। जाने क्यों?) साथ ही, digital communication में यानि WhatsApp/SMS में हिंदी के संदेश हिंदी में ही लिखें। "Tumne jo sandesh bheja tha vo maine..." जैसी लिखाई से बचें।

कुछ लोगों के साथ मिलकर हमने यह शुरुआत की है कि हम हिंदी को उसके मूल रूप और लिपि में बोलते और लिखते हैं। इससे न केवल हिंदी के प्रति जागरूकता आई है बल्कि अन्य भाषाओं की भी समझ बढ़ी है। भाषिक मिश्रण कम हुआ है। एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि जहां कहीं अन्य भाषाओं के शब्दों का प्रयोग आवश्यक है उसे स्वीकार किया है। जैसे कि Internet, Facebook, Rickshaw, इत्यादि विदेशी शब्दों को अंतर्जाल, आमुखपुस्तिका, त्रिचक्रसवारीवाहिनी कहना अजीब लगेगा। आगे, हिंदी और उर्दू में बड़ी घनिष्ठता रही है। दोनों के मेल से हिंदुस्तानी बनी है, जो अपने आप में सुंदर, समृद्ध, और भारत में बड़ी लोकप्रिय रही है। इसीलिए शुद्ध हिंदी बोलने की ज़िद में उर्दू शब्दों को हिंदी से बेदख़ल नहीं करना चाहिए।

भाषा मानवीय संबंधों की आधारशिला है। जितने अच्छे से हम अपने आप को व्यक्त करते हैं, उतने ही स्वस्थ और मजबूत हमारे संबंध होते हैं। जैसे हमारी भाषा विकसित होती है, वैसे ही हम विकसित होते हैं, और हमसे संबद्ध लोग भी। भाषा कोई भी हो उसका प्रयोग सजग होकर करना चाहिए। सजगता में ही प्रेम और सम्मान दोनों होते हैं।